कृष्ण जन्माष्टमी 2023 मुहूर्त
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 सितंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन 7 सितंबर 2023 शाम 04 बजकर 14 मिनट पर होगा। कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा मध्य रात्रि की जाती है, इसलिए इस साल भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव 6 सितंबर 2023, बुधवार को मनाया जाएगा।
कृष्ण जन्माष्टमी पूजा का आयोजन करते समय निम्नलिखित पूजा विधि का पालन कर सकते हैं:
सामग्री:
- श्रीकृष्ण की मूर्ति या छवि
- श्रीकृष्ण के लिए विशेष वस्त्र
- दूध, मक्खन, दही, घी, शक्कर, घी के दिये
- फल (खीरा, चीकू, नारियल, चीरी, केला, आम, पपीता, सीताफल, अदरक, इत्यादि)
- फूल (गेंदा, जास्मिन, रात की रानी, इत्यादि)
- धूप, दीप, अगरबत्ती
- तुलसी पत्ते
- पूजा की थाली, कपड़े, पानी
पूजा विधि:
- पूजा की स्थल की सफाई: पूजा करने से पहले स्थल को साफ-सफाई और शुद्धता से तैयार करें।
- मूर्ति या छवि की स्थापना: श्रीकृष्ण की मूर्ति या छवि को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
- वस्त्र पहनाना: श्रीकृष्ण को विशेष वस्त्र पहनाएं।
- धूप और दीप की प्रज्वलन: धूप और दीप जलाकर पूजा की शुरुआत करें।
- पूजा करना: मन्त्रों के साथ श्रीकृष्ण की पूजा करें, अपने स्थानीय पूजा पाठ किताब से मदद लें या पंडित से सलाह लें।
- फल, दूध, और मक्खन की प्रसाद: श्रीकृष्ण को फल, दूध, और मक्खन की प्रसाद चढ़ाएं।
- तुलसी पत्ते और फूल: तुलसी पत्ते और फूलों का प्रयोग करके पूजा को समाप्त करें।
- आराती: आराती गाकर श्रीकृष्ण की पूजा को पूरा करें।
- भजन: कृष्ण भजन गाकर और कृष्ण के कीर्तन करके पूजा को समाप्त करें।
- व्रत तोड़ना: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन के बाद व्रत को तोड़ सकते हैं।
यदि आपके पास कोई विशेष पूजा पाठ या मंत्र है, तो आप उन्हें भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूजा के दौरान उच्चारण कर सकते हैं। पूजा विधि में छोटे-छोटे स्थानीय भिन्नताएं हो सकती हैं, इसलिए आप अपने स्थानीय पूजा पंडित या धार्मिक आधार की किताबों का सहायता भी ले सकते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी व्रत का पालन करते समय निम्नलिखित नियमों का पालन किया जाता है:
- उपवास (Fasting): व्रत के दिन, व्रती लोग भोजन में विशेष सावधानी बरतते हैं और नॉन-वेजिटेरियन और अल्कोहलिक पदार्थों का सेवन नहीं करते। वे अनाज, फल, सब्जियाँ, दूध, दही, मिल्क प्रोडक्ट्स, और व्रत के उपयोग के अन्य प्रतिष्ठित पदार्थों को खाते हैं।
- पूजा और ध्यान: व्रती लोग भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। कृष्ण मंदिर जाकर और अपने घर पर भी पूजा की जा सकती है। ध्यान और मनन के द्वारा भगवान कृष्ण के चरणों में विश्वास करते हैं।
- कथा सुनना: कृष्ण जन्माष्टमी के दिन कृष्ण के जीवन की कथा (जैसे कि “श्रीमद् भगवद गीता”) की सुनवाई की जाती है, जिससे भक्तों को उनके जीवन और उनके सन्देशों का अध्ययन करने का अवसर मिलता है।
- रात्रि में आराती: रात्रि को, कृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रती लोग आराती का आयोजन करते हैं, जिसमें आराती गाने और प्रसाद बाँटने का आयोजन होता है।
- नियमों का पालन: व्रती लोग कृष्ण जन्माष्टमी के दिन कुछ नियमों का पालन करते हैं, जैसे कि अशुद्ध वस्त्र पहनना, शुद्ध रहना, और नेगेटिव भावनाओं को दूर रखना।